प्रेरणादाई लघु कथाएं

प्रेरणादाई लघु कथाएं

दो बेहतरीन प्रेरणादाई लघु कथा, नकारात्मकता से सकारात्मक सोच हो जाएगी इन कहानियों को पढ़ने के बाद।





हाथी की हार

(Short Moral Story)


रमेशनगर में एक हरिया अपने साथ एक हाथी को पतली सी रस्सी से बांधकर लेकर जा रहा था, वहां खड़ा बलिया बड़ी हैरानी से हरिया को देख रहा था।


उसने हरिया से पूछा कि तुम इतनी पतली रस्सी से इतने बड़े विशाल जानवर हाथी को कैसे लेकर जा रहे हो, ये तो 2 मिनट में रस्सी तोड़कर भाग सकता है।


ढाबे वाला vs ट्रैक्टर वाला


हरिया ने जवाब दिया, जब ये हाथी छोटा था न, तब मैं इसको बड़ी और मजबूत रस्सी से बांधकर रखता था, ये तब रस्सी को तोड़ने की बहुत कोशिश करता था लेकिन उसे लाख कोशिश के बावजूद तोड़ नहीं पाता था।


और, वो ही सोच इसके दिमाग में बैठ गई, अब ये सोचता है कि मैं रस्सी तोड़ ही नहीं पाऊंगा, और हार मानकर बैठ गया है। ये हाथी इस पतली रस्सी को आज भी मजबूत ही मानता है।


ये ही कारण है कि मैं इसको पतली रस्सी से बांधता हूं।


सीख

(Moral Of The Story)


मुझसे नहीं हो पाएगा, मैं नहीं कर पाऊंगा ऐसी नकारात्मक सोच की पट्टी हमारे दिमाग में भी भर गई है। हम ये ही सोचकर जीवन में आगे नहीं बढ़ पाते हैं। मात्र एक दो बार कोशिश करते हैं फिर उस चीज को करना छोड़ देते हैं और ये ही चीज़ हमें असफल बनाती है। लगातार कोशिश करने से ही सफ़लता मिलती है। 




किसान की चतुराई

(Short Story In Hindi)


एक किसान को नदी पार करनी थी, उसके पास एक घास का गट्ठर, एक बकरी और एक शेर था। अब उसे इन तीनों को लेकर नदी को पार करना था।


किसान की नाव भी छोटी थी, नाव में एक बारी में सिर्फ़ दो ही चीजे जा सकती थी। किसान को ये डर था कि अगर वो शेर को पहले ले गया तो बकरी घास खा जाएगी, अगर वो घास को पहले ले गया तो शेर बकरी को खा जाएगा।


अपनी वैल्यू को बढ़ाओ


किसान को एक तरकीब सूझी, उसने क्या करा कि बकरी को नाव में बैठाकर वो ले गया और नदी पार छोड़ दिया, फिर वो नाव दोबारा लेकर आया और उसने इस बार शेर को नाव में बैठाया और उसे नदी पार छोड़ दिया लेकिन इस बार उसने बकरी को वापिस नाव में बैठा लिया।


हो सकता है


और, वापिस बकरी को ले आया। अब, उसने नाव में घास का गट्ठर रखा और दूसरी और छोड़ आया फिर आखरी चक्कर में वो नाव में बकरी को भी ले आया। 


इस प्रकार किसान तीनों को नदी पार ले आता है।


सीख

(Moral Of The Story)


हमें हरेक कार्य सूझ बुझकर यानी सोच विचार करके ही करने चाहिए।


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