गवैया और साहूकार | Hindi Moral Story

गवैया और साहूकार | Hindi Moral Story

दोस्तो, हमारी जिंदगी में प्रेरणादायक कहानियों (Motivational Story In Hindi) का एक अलग ही महत्व है। जब भी हम निराशा के अन्धकार में खुद को पड़ा पाते हैं तो किसी की प्रेरक बातें, शब्द या कहानी ही अक्सर हमें याद आती है। 

आइए, पढ़ते हैं ये बेहतरीन प्रेरणादाई कहानी:-

गवैया और साहूकार
(Moral Story In Hindi)
 

कुछ समय पहले कि बात है एक नगर था, उस नगर में एक बहुत ही चालाक और संपन्न और धनी साहूकार रहता था ।  उस नगर में एक दिन एक गाना गाने वाला गवैया आया ।


वह गवैया उस साहूकार के घर के पास ही बैठ गया और गाना  गाने लगा । गाना गाने वाले गवैया ने जैसे ही संगीत गाना चालू किया, वहां नगर के सभी लोग पहुंच गए और साहूकार के घर के सामने, गाना सुनने के लिए भीड़ एकत्रित हो गयी।



साहूकार भी वहां मौजूद था और गाना-बजाना बहुत समय तक चला। गाना सुनकर वहां मौजूद सभी नगर वाले बहुत ख़ुश हुए और ख़ुश होकर सभी नगर वालो ने इनाम के तौर पर जो भी उनके पास मौजूद था, थोड़े बहुत पैसे, अनाज उस गवैया को देने लगे। साहूकार भी संगीत सुनकर बहुत ख़ुश हुआ और साहूकार तालियां बजाते हुए बोला "तुम्हारे गीत बहुत ही सुन्दर थे। हम तुम्हारा संगीत सुनकर ख़ुश हुए।"


यह सुनकर गवैया मन ही मन सोचने लगा कि साहूकार इतनी तारीफ कर रहा है और धनी भी है तो अवश्य ही कोई  बड़ा इनाम देगा और ख़ुश होने लगा ।


साहूकार चुपचाप बैठा रहा और कुछ ना बोला तो गवैया से रहा ना गया और उसने बोला कि " साहूकार जी आप को मेरा संगीत पसंद आया और आप ने मेरी तारीफ़ भी की है तो आप अवश्य ही मुझे कोई बड़ा इनाम देंगे ।


साहूकार बोला " तुम कल आना कल मैं तुम्हें बहुत सारी सोने-चांदी की मुद्राएँ, वस्तुयें और धन दूंगा ।


गवैया साहूकार की बातें सुनकर बहुत ख़ुश होता है और धन्यवाद कहता हुआ वहां से चला जाता है ।


फिर दूसरे दिन गवैया मुद्राएँ, धन लेने के लिए साहूकार के पास आता है और कहता है कि "साहूकार जी मेरा इनाम दे दीजिये।"


साहूकार कहता है "इनाम…! कैसा इनाम, किसका इनाम? गवैया कहता है " कल आपने मेरा संगीत सुना था और आप ख़ुश भी हुये थे । आपने मुझे बहुत सारी मुद्राएँ और धन देने की बात कही थी "। "पर तुमने मुझे कुछ सामान, वस्तु या धन दिया था"- साहूकार ने जबाब दिया । गवैया कहता है " नहीं… मैंने आपको गाना सुनाया था और आप बहुत ख़ुश हुए थे।


साहूकार कहता है कि "जब मैंने तुमसे कोई धन नहीं लिया न तुमने मुझे कुछ दिया, सिर्फ गाना सुनाकर ख़ुश किया तो मैंने भी तुम्हें मुद्राएँ धन देने की बात बोलकर ख़ुश कर दिया, तो अब मैं तुम्हें धन क्यों दूँ । मैंने तुम्हें ख़ुश किया और तुमने मुझे ख़ुश किया तो हुआ ना हिसाब बराबर।" 


साहूकार की बात सुनकर गवैया  बहुत नाखुश होता है और बड़बड़ाता हुआ नाखुश होकर वहां से चला जाता है ।


कहानी से सीख

(Moral Of The story)


दोस्तों! कई बार ऐसा होता है हम अपने थोड़े से कार्य के लिए दूसरों से ज्यादा की उम्मीद करते हैं । और जब ये उम्मीद पूरी नहीं होती तो हमें निराशा होती है, और हम दुखी हो जाते हैं। हमारे जीवन में निराशा कम करने के लिए हमें दूसरों से उम्मीद नहीं करनी चाहिए ।


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