सेनापति बापट

सेनापति बापट

जिनके हौसले बुलंद होते हैं और कुछ करने का जज़्बा होता है वो ही इतिहास बनाते हैं, ऐसी ही मिसाल है सेनापति बापट। आइए जानते हैं इनकी unsung freedom fighter story


 सेनापति बापट || Senapati Bapat

(Freedom Fighter Story)


सेनापति बापट एक ऐसे क्रांतिकारी थे जो पेरिस से बम बनाने की विधि सीखकर 1908 में 'बम मैन्युअल' के साथ भारत वापस लौटे और उसे पूरे देश के क्रांतिकारियों में गुप्त रूप से बांटने का काम किया। 


उन्होंने अपनी मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री का इस्तेमाल अंग्रेजों की नौकरी करने के लिए नहीं बल्कि भारत के क्रांतिकारियों को बम बनाना सीखाने के लिए की। 


उसके बाद भारत के क्रांतिकारियों ने अंग्रेजी हुकूमत के ऊपर इतने बम बरसाए कि उनकी नींद ही उड़ गई। ये ही थे जो आगे चलकर सेनापति बापट के नाम से मशहूर हुए।


पांडुरंग महादेव बापट भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की एक बेहद मज़बूत कड़ी थे। 1921 में हुए ' मूलशी सत्याग्रह' का नेतृत्व करने के कारण उन्हें 'सेनापति' के नाम से जाना गया।


पुणे के डेक्कन कॉलेज में दाखिला लेना उनके जीवन के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ क्योंकि यही वह जगह थी जहां बापट के मन में राष्ट्रवादी भावनाओं के बीज पनपे थे।


1904 में कॉलेज से निकलने के बाद बापट छात्रवृत्ति पाकर पढ़ने के लिए इंग्लैंड चले गए। वहां उन्होंने क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल होना शुरु कर दिया। 


एक बार भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ दिए गए उत्तेजक भाषण के कारण ब्रिटिश सरकार के हस्तक्षेप के बाद बापट की छात्रवृत्ति रोक दी गई तो वे पेरिस चले गए और बम बनाना सीखने लगे।


भारत लौटने के बाद उन्होंने युवा क्रांतिकारियों को बम बनाना सिखाया और दादा भाई नौरोजी द्वारा लिखित Poverty In India के माध्यम से देश के लोगों को ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था के हो रहे शोषण से परिचित करवाया। 


सेनापति बापट ने देश में लोगों को जागरूक कर विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार के लिए भी आंदोलन चलाया।


सेनापति बापट अपने जोशीले भाषण के लिए इतने प्रसिद्ध थे कि लोग दूर-दूर से उन्हें सुनने आते थे। न जाने कितने युवा उन से प्रभावित होकर स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े।


ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ दिए गए अपने भाषणों की वजह से कई बार सेनापति बापट को जेल भी जाना पड़ा लेकिन उन्होंने अंग्रेजों का विरोध करना नहीं छोड़ा।


यह भी पढ़ें -


लक्ष्मी सहगल जी : भारत का गर्व


रासबिहारी बोस : भारत का अभिमान

Post a Comment

0 Comments