गणेश शंकर विद्यार्थी | Ganesh Shankar Vidyarthi Kon The

गणेश शंकर विद्यार्थी | Ganesh Shankar Vidyarthi Kon The

महान क्रांतिकारियों की सूची में एक नाम गणेश शंकर विद्यार्थी का भी रहा है। गणेश शंकर विद्यार्थी एक ऐसे पत्रकार थे जिन्होंने अपनी लेखनी की ताकत से भारत में अंग्रेजी शासन की नींद उड़ा दी थी। 


 गणेश शंकर विद्यार्थी
(Ganesh Shankar Vidyarthi)


उनके लेखों ने अंग्रेजी सरकार के खिलाफ देश के लोगों को लड़ाने के लिए प्रेरित किया। वे एक समाजसेवी और स्वतंत्रता सेनानी थे। वह स्वभाव के अत्यंत सरल किंतु क्रोधी और हठी भी थे।


वे निडर और निष्पक्ष पत्रकार थे। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में उनका योगदान अजर अमर है। वह अपने कॉलेज के दिनों से ही पत्रकारिता और संपादन के कार्य से जुड़ गए थे और गांधी जी से मुलाकात के बाद से पूर्णता स्वाधीनता आंदोलन के लिए समर्पित हो गए थे। 


उन्होंने अपना हिंदी साप्ताहिक प्रताप के नाम से निकाला। प्रताप किसानों और मजदूरों का हिमायती पत्र था। उसमें देशी राज्यों की प्रजा के कष्टों पर विशेष समाचार रहते थे।


उन्होंने प्रताप का दैनिक संस्करण निकाला और प्रभा नाम की एक साहित्यिक और राजनीतिक मासिक पत्रिका भी अपनी प्रेस से निकाली। 


उन्होंने होमरूल आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाई और कानपुर में कपड़ा मिल मजदूरों की पहली हड़ताल का नेतृत्व किया।


कांग्रेस के विभिन्न आंदोलनों में भाग लेने और अधिकारियों के अत्याचारों के विरुद्ध निर्भीक होकर प्रताप में लेख लिखने के संबंध में यह पांच अधिकारियों के अत्याचारों के विरुद्ध निर्भीक होकर प्रताप में लेख लिखने के संबंध में 5 बार जेल भी गए क्योंकि जब उनकी कलम चलती थी तो अंग्रेजी हुकूमत की जड़े हिल जाती थी।


विद्यार्थी स्वयं तो बड़े पत्रकार थे ही। उन्होंने कितने ही नवयुवकों को पत्रकार, लेखक और कवि बनने की प्रेरणा और ट्रेनिंग दी। अपने जेल जीवन में इन्होंने विक्टर ह्यूगो के दो उपन्यासों ला मिजरेबिल्स और नाइनटी थ्री का अनुवाद किया। 


हिंदी साहित्य सम्मेलन के 19वें गोरखपुर अधिवेशन के ये सभापति चुने गए। विद्यार्थी जी बड़े सुधारवादी किंतु साथ ही धर्मपरायण और ईश्वरभक्त थे।


वक्ता भी बहुत प्रभावपूर्ण और उच्च कोटि के थे। ऐसी थी कलम की ताकत कि कुछ बोले बिना भी केवल लिखकर वे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक अपने देश के हित के लिए विचार पहुंचा पाए और आधुनिक टेक्नोलॉजी के अभाव में भी लोगों को प्रभावित कर आंदोलन से जोड़ पाए।


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