दोस्तों जिसकी लाठी उसकी भैंस नहीं है। आज के इस युग में इसका मतलब बदल चुका है। ताकत मिलती है पढ़ाई लिखाई से। पढ़ाई लिखाई करने के बाद जब हम अफसर बनते हैं तो फलाना बंदे से कहते हुए सुनते हैं कि इस बंदे के साइन के बगैर कुछ नहीं होगा। वो power हमें हासिल करनी है। Body shody तो सब ही बना रहे है। अगर दिमाग तेज करने के साथ साथ बॉडी शोडी भी बना लो तो सोने पे सुहागा। आइए पढ़ते हैं अच्छी बातें मेरे साथ का एक और नया चैप्टर
जिसकी लाठी उसकी भैंस नहीं है
(Motivational Article In Hindi)
जिसकी लाठी उसकी भैंस नहीं होती। ये कहावत बदल चुकी है। आज उसकी लाठी है जो कामयाब हैं।
अपनी ताकत को इतना मज़बूत बनाओ कि कमजोरी हार जाए
क्या हार में क्या जीत में किंचित नहीं भयभीत मैं।
हार नहीं मानूंगा जीतकर ही दम लूंगा
मेहनत इतनी खामोशी से करो कि सफ़लता शोर मचा दे
जमाना बदल रहा है खुद को भी बदल दो क्योंकि बदलाव तो जरूरी है।
इतिहास गवाह है जिसने खुद को नहीं बदला उसे इतिहास ने बदल दिया। फिर उसका हश्र बुरा ही हुआ है चाहे वो मुगल हो या नंद वंश का शासक घनानंद हो
समय से बदल जाओ तो अच्छा है वरना जब समय आपको बदलेगा तो फ़िर शुरुआत करने में दिक्कत होगी।
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