अपनी ताकत की पहचान | Motivational Story In Hindi

अपनी ताकत की पहचान | Motivational Story In Hindi

अपनी ताकत की पहचान
(Motivational Story In Hindi)


एक नन्ही चिड़िया का एक दाना पेड़ के कंदरे में फंस गया। नन्ही चिड़िया ने पेड़ से बहुत बोला मगर पेड़ महोदय कहां नन्ही चिड़िया की बात सुनने वाले थे!!



अब नन्ही चिड़िया बढ़ई के पास जाती है और उससे पेड़ काटने के लिए अनुरोध करती है लेकिन बढ़ई एक छोटे से दाने के लिए पेड़ काटने से मना कर देता है!!


अब निराश उदास नन्ही चिड़िया राजा साहब के पास जाती है और बढ़ई को सजा देने के लिए बोलती है। राजा साहब चिड़िया को डांटकर भगा देते हैं लेकिन भला जिद्दी चिड़िया हार कहां मानने वाली थी!! 


उसने तो ठान लिया था कि चाहे कुछ भी हो जाए वो दाना तो खाकर ही रहेगी!!


अब वो हाथी को चलाने वाले महावत भाई साहब के पास गई उसने महावत से कहा जब राजा साहब हाथी पर बैठे तो तुम राजा साहब को नीचे गिरा देना क्योंकि राजा साहब बढ़ई को सजा नहीं दे रहे!!!


लेकिन महावत भैया भी ऐसा करने से मना कर देते हैं। महावत बेचारा अपनी नौकरी देखे या चिड़िया की बात सुने!!!


अब बेचारी नन्ही चिड़िया करे तो क्या करे। बढ़ई, राजा, महावत कोई भी मेरी बात नहीं सुन रहा है!!


अब थक हारकर चिड़िया हाथी के पास जाती है लेकिन हाथी भी चिड़िया को डांटकर भगा देता है!!!


अब थक हारकर नन्ही चिड़िया उस पेड़ के पास बैठ जाती है और सोचने लगती है!!! फिर वो चीटी को देखती है और फर से उड़कर उस चीटी के पास पहुंचती है!!


और नन्ही चिड़िया चीटी से अनुरोध करती है कि तुम हाथी की सूंढ में घूस जाओ लेकिन चीटी भी नन्ही चिड़िया को भगा देती हैं!!!!


अब नन्ही चिड़िया गुस्से से आग बबूला हो उठती है और मानो जैसे अपना भयंकर रौद्र रूप धारण कर लेती है। अब तो मुझे ही कुछ करना पड़ेगा। 


मैं बेशक इस हाथी, राजा, महावत और बढ़ई का तो कुछ नहीं बिगाड़ सकती लेकिन मैं इस चीटी को तो अपनी चोंच से कूट कर खा ही सकती हूं!!!


चीटी की तो सिटी पिट्टी गुल। चीटी तो कतई भयंकर वाला डर जाती है। चीटी कहती हैं मुझे माफ कर दो मेरी बहन मुझसे गलती हो गई। मैं तुम्हारा काम अभी दो मिनट में कर देती हूं!!



चीटी झटाक से हाथी की सूंढ में घूस जाती है फिर क्या था हाथी दौड़ा दौड़ा महावत के पास जाता है। महावत अपने हाथी का इतना भयंकर रूप देखकर डरते डरते राजा साहब के पास पहुंचता है!!!


राजा ने तुरंत ही बढ़ई को बुलाया और उसे पेड़ काटने का आदेश दिया!! अब राजा साहब के आदेश को बढ़ई कैसे टाल सकता था!!! बढ़ई अपने औजार लिए दौड़ा दौड़ा पेड़ के पास पहुंचता है!!!


अब क्या था बढ़ई को देखते ही पेड़ की तो हालत ही खराब हो जाती है। पेड़ बिलबिलाते हुए कहता है रुको भईया मुझे मत काटो!!! मैं नन्ही चिड़िया को उसका दाना अभी वापिस किए देता हूं….


आखिरकार नन्ही चिड़िया को अपना दाना मिल जाता है और फिर नन्ही चिड़िया खुशी खुशी अपने घोंसले में चली जाती है।


सीख
(Moral Of The Prerak Story)


  1. हम असीमित ताकत के मालिक है बस जरुरत तो अपनी ताकत को पहचानने की है।

  2. हनुमान जी में भी बहुत सी शक्तियां छिपी हुई थी लेकिन उन्हें भी तो जामवंत जी ने उनकी शक्तियों से अवगत करवाया था। ऐसे ही हमारे साथ है हममें भी बहुत ताकत है इसलिए अपनी शक्ति को पहचानो और उसे सही दिशा में आकार दो।


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