गुरु का सम्मान | Moral Story In Hindi

गुरु का सम्मान | Moral Story In Hindi

गुरू शब्द की व्याख्या करना बहुत ही मुश्किल काम है। गुरू की महिमा तो अपरंपार है। गुरू के बारे में जितना भी लिख लो उतना ही कम है। गुरू को अपनी भारतीय संस्कृति में माता पिता से भी श्रेष्ठ माना गया है। आइए पढ़ते हैं ये बेहतरीन Rochak Prsang Hindi Me  


गुरु का सम्मान 

(Rochak Prasang)


पंडित राधेश्याम राम कथा को विशेष काव्य शैली में लिखने वाले एक महान संत थे।


वे राम कथा करने और सुनाने के लिए बहुत ज्यादा उत्सुक रहते थे।


वह उन सभी संतों का बहुत अधिक आदर सम्मान करते थे जो राम कथा का हिस्सा बनना चाहते थे।


महान पंडित मदन मोहन मालवीय उनके गुरु थे। पंडित राधेश्याम को अपने गुरु मदन मोहन मालवीय जी के मुख से भागवत कथा सुनकर अत्यंत सुख की प्राप्ति होती थी।


वहीं दूसरी तरफ श्री मालवीय जी को भी राधेश्याम जी द्वारा रचित रामायण की काव्य शैलियों सुनने का बड़ा मन होता था।


वे थोड़े थोड़े टाइम के बाद उन्हें बरेली से काशी जरूर बुलाया करते थे। 


एक बार गुरु पूर्णिमा के अवसर पर पंडित राधेश्याम ने काशी जाकर मदन मोहन मालवीय को गुरु पूर्णिमा की बधाई देने की सोची।


और इसीलिए पंडित राधेश्याम ने संत प्रभुदत्त ब्रह्मचारी के साथ काशी जाने का फैसला किया। 


राधेश्याम ने अपने गुरु के लिए एक कीमती शोल और कुछ मिठाइयां भेंट के स्वरूप ले ली।


काशी पहुंच के पंडित राधेश्याम ने मदन मोहन मालवीय को बड़े आदर एवं सम्मान से वह शॉल ओढ़ाया।


मदन मोहन मालवीय उनके विरक्त एवं तपस्वी जीवन से बहुत अधिक प्रभावित थे इसीलिए उनका बहुत सम्मान करते थे।  


पंडित राधेश्याम मदन मोहन मालवीय की विरक्ति भावना और एक शिक्षक के प्रति सम्मान की भावना को देखकर दंग रह गए। 


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