ईसा मसीह का जन्म 25 दिसंबर, 4 ईसा पूर्व जेरूसलम के नजदीक बेथलहम के एक घुड़साल में हुआ था, जहां गाएं और दूसरे जानवर रखे जाते थे।
उनके माता-पिता जोसेफ और मैरी यहूदी बहुत गरीब थे।
ईसा मसीह : ईसाई धर्म के संस्थापक
(Story Of Jesus Christ)
उनके जन्म के समय कई विचित्र घटनाएं घटी जिसने यह साबित कर दिया कि जन्म लेने वाला बालक साधारण नहीं है।
उस रात आकाश में एक बहुत ही चमकीला तारा चमका और कुछ गडरिये, जो अपनी भेड़ों की निगरानी कर रहे थे, उनसे मिलने देवदूत आए।
इसके अलावा 12 साल की उम्र तक वह इतना अधिक जान चुके थे कि उस समय के यहूदियों के सबसे ज्ञानी लोगों को भी आश्चर्यचकित कर देते थे।
जब वह 30 साल के हुए, तो उन्होंने बढ़ई का अपना पुश्तैनी पेशा छोड़ दिया।
एक जगह से दूसरी जगह जाने लगे, लोगों को इस बारे में बताने के लिए कि भगवान क्या है और भगवान उनसे क्या चाहते हैं?
उन्होंने उन्हें मानवता और सार्वभौमिक बंधुत्व के नए धर्म को मानने के लिए प्रेरित किया।
उनकी शिक्षाओं को दो वाक्य में समेटा जा सकता है - 'अपने पूरे हृदय से प्रभु से प्रेम करो और सभी लोगों से ऐसे प्रेम करो, जैसे तुम स्वयं से करते हो।'
हजारों लोग ईसा मसीह के प्रवचन सुनने के लिए उनके पास आते थे।
स्वार्थी लोगों को मूर्ख बनाकर पैसा बनाने वाले पादरी ईसा से ईर्ष्या करने लगे। इसलिए उनके विरुद्ध षड्यंत्र रचा गया और कुछ झूठे आरोप गढ़े गए।
रोमन गवर्नर पिलैट ने ईसा को शुक्रवार के दिन सूली पर चढ़ाकर मृत्यु देने की सजा सुनाई, लेकिन उनके शिष्यों ने उनकी शिक्षाओं को सारे संसार में फैलाया।
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