ओशो रजनीश | Biography Of Osho In Hindi

ओशो रजनीश | Biography Of Osho In Hindi

महान व्यक्तित्व ओशो ने 11 दिसंबर, 1931 को मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर के छोटे से गांव कुछवाड़ा में जन्म लिया था

 

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ओशो रजनीश 

(Biography Of Osho In Hindi)


1970 और 1980 के दशक में ओशो श्री रजनीश भगवान के रूप में बहुत फेमस होने लगे थे। 


बाद में उन्होंने अपना नाम बदलकर ओशो ही रख लिया था। 


उन्होंने ओशो आंदोलन शुरू किया, जो आध्यात्मिक था। उसके साथ ही उसने विवादों को भी आमंत्रण दिया। 




7 साल की उम्र तक ओशो अपने नाना नानी के साथ रहे और इसने उनके विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 


नानी ने उन्हें स्वतंत्रता दी थी कि वह अपनी जिंदगी अपनी मर्जी से जी सकते हैं। 


शिक्षा उन पर कभी थोपी नहीं गई। उनके नाना-नानी अक्सर कहा करते थे, उन्हें वही करना चाहिए, जिसे उनका मन सही समझता है। 


ओशो दावा करते हैं कि उन्हें 21 साल की आयु में ज्ञानोदय प्राप्त हो गया था। 


उन्होंने डीएन जैन कॉलेज से दर्शनशास्त्र से स्नातक और 1957 में सागर विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर किया। इसके बाद उन्होंने रायपुर संस्कृत कॉलेज में दर्शनशास्त्र पढ़ना शुरू कर दिया। 


वह पूरे देश में घूमे और समाजवाद की अवधारणा के विरुद्ध व्याख्यान दिए। 


1964 में ओशो ने अपना पहला ध्यान शिविर लगाया।


ओशो का दर्शन चैतन्य, करुणा और सृजनात्मकता पर आधारित है। उनका विचार था कि एक व्यक्ति, जो इन तीन विशेषताओं को विकसित करने में सक्षम है, उसमें गहराई अवश्य होगी। 


हममें से अधिकतर लोग स्वयं को सृजनात्मकता से दूर रखते हैं। ओशो के अनुसार आधारभूत रूप में चार चीजें हैं, जो सृजनात्मक जीवन को नियंत्रित या सीमित करती हैं। 


ये है आत्म चेतना, बौद्धिक स्तर, विश्वास और पूर्णतावाद। 


ओशो आश्रम की स्थापना का श्रीरजनीश को जाता है। पुणे स्थित ओशो आश्रम को ओशो इंटरनेशनल मेडिटेशन रिजॉर्ट के नाम से जाना जाता है। 


ओशो आश्रम आध्यात्मिकता की खोज करने वालों का आश्रय स्थल है। 


आज ओशोधाम के सारे संसार में कई केंद्र हैं और इसके सदस्य की संख्या करीब दो लाख है। 


महान व्यक्तित्व और दार्शनिक ओशो की मृत्यु 19 जनवरी, 1990 को हुई थी।


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