कपिल देव रामलाल निखंजी का जन्म 6 जनवरी 1959 को चंडीगढ़ में हुआ था। उन्हें भारत का सबसे तेज गेंदबाज माना जाता था। साथ ही साथ वह एक अच्छे बल्लेबाज भी थे। वो जिम्बाब्वे के खिलाफ 175 रन की बेहतरीन पारी भला कौन भूल सकता है। उस समय भारत की लड़खड़ाती पारी की नैया पार कराने वाले कपिल देव ही तो थे।
वह हमेशा भारत की लड़खड़ाती पारी को उस समय संभाल लेते थे जब शीर्ष क्रम और मध्य क्रम के बल्लेबाज अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते थे
कपिल देव
(Kapil Dev Jivani In Hindi)
वह दाएं हाथ से खेलने वाले बल्लेबाज और गेंदबाज थे और भारत के तेज गेंदबाजों में सर्वश्रेष्ठ माने जाते थे।
उन्होंने टीम इंडिया का नेतृत्व भी किया था। उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि है, अपने नेतृत्व में 1983 में भारत को विश्व विजेता बनना। विश्व कप को क्रिकेट की सबसे सम्मानित चैंपियनशिप माना जाता है।
अपने शुरुआती दिनों में जब वह हरियाणा क्रिकेट टीम के लिए खेलते थे, जो घरेलू स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करती है, तभी उन्होंने साबित कर दिया था कि वह एक अद्भुत गेंदबाज है।
कई बार ऐसा समय आता, जब दसों बल्लेबाजों का पूरा क्रम अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाता, कपिल देव गेंदबाजी करते और प्रतिद्वंद्वी टीम के 10 में से 8 खिलाड़ियों को आउट कर देते थे।
उन्होंने अपने अंतरराष्ट्रीय खेल की शुरुआत 1978 में भारत के मुख्य प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के विरुद्ध की थी।
और; इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा हालांकि शुरुआत में उनके गेंदबाज के आंकड़े अच्छे नहीं थे….
कुछ समय बाद उन्होंने कड़ी मेहनत से खुद को अंतरराष्ट्रीय भूमिका के लिए तैयार कर लिया…
कपिल देव जी (kapil dev) ने भारत के लिए कुल 131 टेस्ट मैच और 225 एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच खेले, जिनमें कई मैचों में भारत को विशाल जीत मिली, जिनमें से अधिकतर का श्रेय कपिल देव के बेहतरीन प्रदर्शन को जाता है।
उन्होंने अपने करियर में टेस्ट मैच में 434 विकेट और एक दिवसीय (one day international) मैच में 253 विकेट लिए।
उन्हें आईसीसी क्रिकेट हॉल आफ फेम में शामिल किया गया था।
टेस्ट मैच में एक खिलाड़ी द्वारा सर्वाधिक विकेट लेने का रिकॉर्ड 2000 तक कपिल के नाम ही था।
संन्यास लेने के बाद भी उनका जुड़ाव क्रिकेट से समाप्त नहीं हुआ। वह 1999 तक भारतीय टीम के कोच रहे…
कुछ विवादों का सामना करने के कारण कपिल देव जी ने भारतीय क्रिकेट टीम के कोच का पद छोड़ दिया।
कपिल देव जी ने कोचिंग देने का एक और प्रयास किया और उन्हें 2004 में भारत के गेंदबाजी कोच के रूप में नियुक्त किया गया।
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