जैसी आदतें वैसा चरित्र

जैसी आदतें वैसा चरित्र

 


दोस्तों! हम आपके लिए motivational story in hindi लाते रहते हैं आज भी हम लाए है आपके लिए एक और बेहतरीन प्रेरणादाई कहानी।


जैसी आदतें वैसा चरित्र
(Best Motivational Story In Hindi)



शर्मा जी की लड़की पढ़ाई में बहुत होशियार थी। हर बार की तरह इस बार भी मीना कक्षा में अव्वल आई थी जबकि उसका छोटा भाई मुकेश ठीक ठाक नंबरों से पास हो गया था। 


मीना अब पांचवी और मुकेश आठवी कक्षा में आ गए थे। मुकेश शुरु से ही स्पोर्ट्स में अच्छा था और वो इसी कारण पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाता था लेकिन वो स्पोर्ट्स में हरदम अच्छा प्रदर्शन किया करता था। मुकेश इस बार भी 800 मीटर की दौड़ में गोल्ड मेडल जीतकर लाया था।


दादा जी मुकेश से बहुत खुश थे और उसे स्कूटी दिलाने का वादा करते है। वही मीना की दादी ने इसके लिए नई साईकिल दिलवा दी है।


दादा दादी मुकेश और मीना से बहुत लाड़ प्यार करते थे। मीना पढ़ाई में तो अच्छी थी लेकिन मीना को गुस्सा बड़ी जल्दी आता था। मीना हर चीज के लिए मम्मी से तो कभी दादा दादी से जिद्द किया करती थी और जब तक की उसकी इच्छा पूरी न हो जाए तब तक रोती रहती थी। 


मीना से स्कूल में भी उससे कोई नहीं बोला करता था क्योंकि वो हर किसी पर दो मिनट में गुस्से में हो जाती थी और न ही कोई बच्चा मीना के साथ खेलता था।


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मीना की मम्मी रमा, उसकी इस गंदी आदत से बहुत परेशान थी। मम्मी जानती थी कि अगर मीना की बुरी आदतें नहीं छूटी तो इसका चरित्र बड़े होने पर अच्छा नही बनेगा और सफलता मिलने में भी बहुत सारी बाधाएं आएंगी, इसलिए मम्मी उसकी बुरी आदतों को बदलना चाहती थी।


मम्मी आज स्कूल में बच्चों की पैरेंट्स टीचर मीटिंग में जा रही है।


मम्मी को टीचर ने बुलाया और दोनो बच्चों की रिपोर्ट दी। टीचर ने मुकेश को स्पोर्ट्स के साथ साथ पढ़ाई पर भी ध्यान देने के लिए सलाह दी, जबकि मीना की टीचर ने उसकी पढ़ाई की बहुत तारीफ करी लेकिन टीचर ने मम्मी को उसकी बुरी आदतों को सुधारने के लिए ध्यान देने के लिए कहा।


मम्मी टीचर से कहती है मैडम, मैंने तो मीना की गंदी आदतों को सुधारने के लिए बहुत कोशिश कर ली, लेकिन वो नहीं मानती। अब आप ही कुछ करिए। मैडम मम्मी को कहती है चलो! मैं ही अब कुछ करती हूं। आप चिंता मत करिए, आप रिलैक्स होकर घर जाइए।


अगले दिन मैडम रविवार वाले दिन मीना को अपने घर बुलाती है और उसे अपने साथ लेकर बगीचे में जाती है और वहां पर उसे छोटे से पेड़ को जड़ से उखाड़ने के लिए कहती है, मीना बगैर कुछ बोले उस पेड़ को जड़ से उखाड़ देती है। 


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अब टीचर थोड़ा और आगे जाती है, और मीना को अगला पेड़ उखाड़ने के लिए कहती है। मीना बगैर कुछ कहे अकड़ में, उसे थोड़ा मुश्किल से उखाड़ पाने में सफल हो जाती हैं। अब मैडम थोड़ा और आगे जाती है और मीना को अगला पेड़ उखाड़ने के लिए कहती है लेकिन ये वाला पेड़ काफी मजबूत होता है जो कि मीना के लाख कोशिश करने के बाद भी नही उखड़ता है।


मीना मैडम से कह देती है ये वाला पेड़ मेरे से नहीं उखड़ रहा है। अब मैडम और मीना पास के ही एक बैंच पर बैठ जाते हैं।


अब मैडम मीना को समझाती हैं, देखो हमारी गंदी आदतें भी इसी पेड़ की जड़ों की तरह होती है। अगर वो हम टाइम रहते नहीं छोड़ते तो हमें बड़े होने पर वो बहुत तंग करती है इसलिए हमें अपनी गंदी आदतों को बचपन में ही छोड़ देना चाहिए और हमें विनम्र होकर सभी से बात करनी चाहिए। 


मीना को अपनी गलती का अहसास हो जाता है और अब वह किसी से गुस्से में बात नही करती और न ही मीना अब किसी चीज़ के लिए मम्मी से जिद्द करती है।


मम्मी मैडम को मिठाई खिलाकर शुक्रिया अदा करती है।


सीख
(Moral of The Story)


हमारे चरित्र की नींव हमारे बचपन की आदतें होती है, जैसी हमारी आदतें होती है वैसा ही हमारा स्वभाव हो जाता है और फिर, वैसा ही हमारा भविष्य भी बनता है इसलिए हमें अपनी आदतें अच्छी रखनी चाहिए ताकि हमारा भविष्य अच्छा बने।


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