लालच बुरी बला है

लालच बुरी बला है

 हमारी नई प्रेरणादाई कहानी best motivational Story in hindi जो आपको काफी अच्छी सीख देगी उम्मीद करते हैं आपको हमारी ये Motivational Story अच्छी लगेगी।


लालच बुरी बला है
(Motivational Story In Hindi)


एक गांव में राकेश नाम का बहुत गरीब किसान रहता था। उसकी फसल पाला पड़ने के कारण नष्ट हो गई थी। एक समय था जब राकेश का काफी बड़े बड़े खेत हुआ करते थे लेकिन अब दो टाइम का खाना परिवार को खिला दे वो ही बड़ी मुुश्किल से हो पाता था। 


कभी कभी तो राकेश अपने हिस्से का खाना अपने बेटे रज्जू को खिला देता था और अपनी पत्नी रितु से कुछ भी बहाना बना देता था कि मैंने दोस्त के यहां खा लिया था…. लेकिन रितु सब समझती थी। लेकिन बेचारी रितु शांत ही रहती थी और चुपचाप ही सो जाती थी।


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राकेश अपने बंजर खेत में ऐसे ही कुछ आशा की उम्मीद खोज रहा था और कड़ी धूप में चंदू (दूसरा किसान) से लाए हुए कुछ बीज बो रहा था, लेकिन खेत में फसल के कोई आसार नहीं दिख रहे थे। खेत बुरी तरह बंजर हो चुका था।


जब ही राकेश को खेत में एक सांप दिखता है और वो उसको खेत का देवता समझकर रोज उसको एक कटोरी दूध पिलाने लगता है और सांप से प्रार्थना करता है कि उसकी खेती बाड़ी फिर से चलनी शुरू हो जाए।


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ऐसे दस बारह दिन तक वो सांप को दूध पिलाता रहता है।


अगली सुबह जब वो दूध पिलाने आता है तो वो कटोरे के पास एक सोने का सिक्का रखा हुआ देखता है। किसान बहुत खुश हो जाता है और वो रोज कटोरा भर भरके सांप को रोज दूध पिलाने लगता है। इस तरह वो ढेर सारे के सिक्के जोड़ लेता है।


एक दिन राकेश का बेटा रज्जू ये सारा खेल देख लेता है और अपने पापा से सारी बात समझ जाता है। रज्जू भी सांप को दूध पिलाना शुरु कर देता है और किसान की ही तरह उसको भी रोज एक सोने का सिक्का मिलने लगता है।


एक दिन रज्जू सोचता है कि ये सांप रोज एक सिक्का देता है क्यों न मैं इसे मार दूं फिर तो पता नही कितने सारे सिक्के मुझे मिल जाएंगे।


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अगले दिन रज्जू दूध का कटोरा और डंडा लेकर सांप के पास आता है और सांप को जोर से डंडा मारता है और गुस्से में घायल तिलमिलाया सांप भी रज्जू को जोर से काट लेता है।


रज्जू की वही मौत हो जाती है और सांप खेत से भी ओझल हो जाता है।


अगले दिन सुबह किसान अपने बेटे का बड़े दुख के साथ अंतिम संस्कार कर देता है।


सीख
(Moral of the story)


हमें कभी भी लालच नहीं करना चाहिए। जितना हैं उतने में ही संतोष करना चाहिए। ज्यादा हर चीज नुकसानदायक होती है।


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