पत्थर और सोना

पत्थर और सोना

 हमारे जीवन में प्रेरणादाई कहानियों (motivational story in hindi) का एक विशेष महत्व है, जब भी हम बचपन में निराश होते थे तो हमारी दादी हमें अक्सर कहानियां सुनाया करती थी। आइए पढ़ते हैं बेहतरीन मोटिवेशनल कहानी(moral story in hindi)




    पत्थर और सोना
    (Motivational Story In Hindi)


    सुमित अपनी जिंदगी से बहुत परेशान हो चुका था, उसका काम धाम सब छुट चुका था। पहले सुमित एक प्राइवेट कंपनी में काम किया करता था, वहां से ठीक ठीक पैसे कमा लेता था। उसी पैसे से वह अपने परिवार का भरण पोषण करता था लेकिन अब मालिक ने सुमित को बढ़ते कोरोना वायरस के कारण जॉब से हटा दिया था।


    सुमित नए काम की तलाश में था लेकिन कोरोना वायरस के कारण पूरी दुनिया घर में कैद हो गई है तो भला सुमित कैसे कोई काम धंधा करे, अब तो घर में एक वक्त खाना भी बड़ी मुश्किल से घर में बन पाता है।


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    सुमित इतना निराश और हताश हो जाता है कि वो आत्महत्या करने तक की कोशिश भी करता है लेकिन उसकी धर्म पत्नी उसे बचा लेती है।


    एक बार ऐसे ही सुमित गली में टहल रहा था, जब ही अचानक उसे एक साधु बाबा दिखाई दिए जो कि राजेंद्रपुरम गांव में पहली बार आए थे, उन बाबा की महिमा मंडन से केवल राजेंद्रपुरम गांव ही परिचित नहीं था।


    सुमित ने बाबा को प्रणाम किया और बाबा को अपनी सारी दुख भरी कहानी सुना दी और बाबा से किसी प्रकार के कुछ चमत्कार या जॉब के लिए बार बार विनती करने लग गया।


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    हालांकि, बाबा अपना चमत्कार हर जगह नहीं दिखाया करते थे लेकिन सुमित के बार बार रिक्वेस्ट करने के कारण बाबा ने सुमित को एक उपाय बताया...


    और, कहा कि तुम पास की ही एक नदी के पास जाना और वहां पर तट के पास  बहुत सारे छोटे पत्थर पड़े होंगे। तुम्हें वहां पर जो सबसे गर्म पत्थर दिखेगा उसे अपनी मुट्ठी में बंद कर लेना है वो पत्थर तुम्हारी किस्मत बदल देगा और वो पत्थर सोना बन जाएगा।


    सुमित बाबा की बात मानकर अगली सुबह नदी के तट पर जाता है और वो हर पत्थर को छू छूकर देखने लगता है। शुरु के दस पत्थर तो सुमित बड़े परख कर देखता है लेकिन गर्म नहीं होने की वजह से वह उन्हें नदी में फेंक देता है।


    ऐसे ही करते करते उसे शाम हो जाती है अब वो पत्थर को इतने गौर से नहीं देख रहा था, वो सीधे ही पथर को नदी में फेंक देता था। 


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    सुमित का माइंड सेट भी अब इस तरह का हो चुका था कि वो सारे पत्थर स्पीड में नदी में फेंके जा रहा था।


    अब करीब रात के नौ बजे चुके थे। सुमित बुरी तरह से निराश और परेशान हो चुका था। इसी क्षण सुमित के हाथ में वो पत्थर आता है जो सबसे गर्म होता है।


    लेकिन, अपनी आदत से मजबूर सुमित उस पत्थर को तुरंत नदी में फेंक देता है, अगले ही पल उसको अपनी हथेली गर्म होने का अहसास होता है और वो अपनी इस करनी से सर पकड़कर बैठ जाता है और चुपचाप वापिस अपने घर आ जाता है।


    कुछ दिन बाद सुमित को एक प्राइवेट कंपनी में फिर से जॉब मिल जाती है।


    सीख
    (Moral of the story)


    हमें जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेना चाहिए अगर सुमित हर पत्थर को जांच परखकर नदी में फेंकता तो आज उसकी जिंदगी कुछ और ही होती लेकिन उसने अपनी जल्दबाजी के कारण हरेक पत्थर को ध्यान से नहीं परखा।


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