गलत आदत | Akabr Birbal Story In Hindi

गलत आदत | Akabr Birbal Story In Hindi

हमारे देश में अकबर और बीरबल की कहानियाँ बहुत बहुत पुराने समय से प्रसिद्ध हैं क्योंकि इनकी कहानियों में हँसी ठिठोली के साथ-साथ बहुत कुछ सीखने को भी मिलता है। आइए पढ़ते हैं Akbar Birbal Story In Hindi


गलत आदत

(Akbar Birbal Story In Hindi)


एक बार अकबर बैठे-बैठे कुछ सोच रहे थे, ऐसा लग रहा था कि वह बहुत परेशान है।


तब एक दरबान ने उनसे उनकी परेशानी का कारण पूछा तब अकबर ने बताया कि उनके बेटे सलीम को अंगूठा चूसने की गलत आदत लग गई है।


इसलिए सभी बहुत परेशान है लेकिन शहजादे सलीम बहुत जिद्दी है। वह किसी की बात नहीं सुनते...


तब उस दरबान ने अकबर को एक संत के बारे में बताया।


कहते हैं वह जिससे एक बार बात कर लेते हैं वो अपनी सारी गलत आदतें छोड़ देता है...


उस दरबान की बात सुनकर अकबर को लगा कि वो संत उनकी परेशानी को दूर कर देगा। 


इसलिए अकबर उस संत को अपने दरबार में बुलावाते है।


संत कुछ देर सोचता हैं और मुझे एक हफ्ते का टाइम चाहिए और सलीम से मिले बिना ही दरबार से चल देते हैं।


उस समय बीरबल भी दरबार में बैठे हुए थे और ये सब तमाशा देख रहे थे।


एक हफ्ते के बाद वह संत आता है और सबसे पहले वह सलीम को अपने पास बुलाता है...


और उससे काफी देर तक बात करता है और वे उन्हे अच्छी तरह से समझाते हैं कि अँगूठा चूसना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है और तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए।


संत की बात सलीम समझ गए और उन्होंने आज से अपना अंगूठा नहीं चूसने का वादा किया।


वह संत चाहता तो वह बातें उस दिन भी सलीम को बता सकता था जो संत ने आज बताई थी।


ये बात अकबर और बाकी लोगों को हजम नहीं हुई।


और उन्होंने उसको दरबार का अपमान समझा।  और इसके लिए अकबर ने संत को सजा देने की मांग की।


दरबारियों की बातें अकबर को भी ठीक लगी और उन्होंने उस संत को दंड देने का निश्चय किया


लेकिन हर बार की तरह आपने फैसला करने से पहले उन्होंने बीरबल की ओर देखते हुए पूछा तुम्हें क्या लगता है??


स संत को सजा मिलनी चाहिए कि नहीं ?


तब बीरबल खड़े होकर दरबार के बीच में जाकर कहते हैं "जहाँपनाह मुझे लगता है कि वह एक महान संत हैं और हमें उनसे कुछ सीखना चाहिए


और उन्हें गुरु मानकर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए।


और अपनी गुस्ताखी के लिए इनसे माफ़ी मंगानी चाहिए। 


यह सुनकर सभी बीरबल पर गुस्सा हो जाते हैं तब अकबर गुस्से में कहते हैं गुस्ताख बीरबल, तुम ऐसा कहकर हमारा अपमान कर रहे हो।"


तब बीरबल कहता है जहाँपनाह मुझे इस गुस्ताखी के लिए माफ करें लेकिन मुझे लगता है कि यह जायज है।


तब अकबर ने बीरबल से अपनी बात साबित करने के लिए कहा।


तब बीरबल बताते हैं – जिस दिन संत पहली बार दरबार में आए और आपने उनसे शहजादे की अंगूठा चुनने की गलत आदत के बारे में बात की तब उनके हाथ में एक चूने का डिब्बा था जिसमें से वह चूना खा रहे थे।


और तब उन्हें अपनी गलत आदत का अहसास हुआ और उन्होंने एक हफ्ते का समय खुद को सुधारने के लिए मांगा था।


इसलिए आज उनके हाथ में कोई चूने का डिब्बा नहीं हैं।


बहुत कम लोग होते हैं जो पहले अपनी कमियों को देखते हैं और उन्हें सुधारते हैं फिर दूसरो को सुधारते है तो मुझे लगता है कि वह बहुत महान संत हैं।


सभी को बात समझ में आ जाती है और सभी संत से क्षमा मांगते हैं और उनसे आशीर्वाद लेते हैं।


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