डॉन ब्रैडमैन : क्रिकेट में सबसे प्रतिष्ठित बैट्समैन | Don Bradman Biography In Hindi

डॉन ब्रैडमैन : क्रिकेट में सबसे प्रतिष्ठित बैट्समैन | Don Bradman Biography In Hindi

क्रिकेट के महान अव्वल दर्जे के बैट्समैन डोनाल्ड ब्रैडमैन की पैदाइश 27 अगस्त, 1908 को न्यू साउथ वेल्स, ऑस्ट्रेलिया में एक बढ़ई किसान की सबसे छोटी संतान के रूप में हुई थी। 

उन्होंने क्रिकेट अपने मामा जॉर्ज और रिचर्ड व्हाटमैन से सीखा। उनकी मां घर की बैकसाइड उनके लिए बाएं हाथ से गेंदबाजी करती थी। एक किशोर के रूप में ब्रैडमैन शनिवार की दोपहर में गांव में होने वाले क्रिकेट मैचों में खेलते थे।


डॉन ब्रैडमैन : क्रिकेट में सबसे प्रतिष्ठित बैट्समैन 
(Don Bradman Biography In Hindi)

जल्दी ही उन्होंने बड़े-बड़े स्कोर खड़े करना शुरू कर दिया। 1926 में न्यू साउथ वेल्स क्रिकेट संघ ने, जो एक गेंदबाज की तलाश कर रहा था, ब्रैडमैन से ट्रायल मैच में खेलने के लिए कहा। 


वह चयनकर्ताओं को आकर्षित नहीं कर पाए। उन्होंने सिडनी में सेंट जॉर्ज क्लब के लिए खेला। बाद में उन्होंने उत्तरी सिडनी और 1935 में दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया के एडिलेड में जाने के बाद केनसिंगटन क्लब के लिए खेला। 


कुछ प्रभावकारी स्कोरों के बाद उन्होंने 1927 में दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध न्यू साउथ वेल्स की ओर से कुछ शुरुआती प्रथम श्रेणी मैच खेले और एक शतक बनाया।


1928 से 1929 के सत्र के दौरान उन्होंने बड़े बड़े स्कोर बनाए।

 

उनका चयन पेरी चेपमैन की इंग्लिश साइड के विरुद्ध ऑस्ट्रेलिया के लिए खेलने के लिए कर लिया गया। पहले टेस्ट मैच में उन्होंने बहुत खराब प्रदर्शन किया, इसलिए उन्हें दूसरे मैच में 12वे खिलाड़ी के रूप में शामिल किया गया। 


बचे हुए मैचों में ऑस्ट्रेलिया की टीम में अपना स्थान स्थापित करने के लिए दो शतक जड़ दिए।


ब्रैडमैन के खेल में शैली की कमी होने के कारण उनकी बहुत आलोचना हुई। उनकी आदत थी कि वह क्रॉस बैट शॉट खेलते थे और समस्या यह थी कि उन्हें तुलनात्मक रूप से सॉफ्ट इंग्लिश विकेट पर मुकाबला करना था। 


ब्रैडमैन ने लगातार बड़े स्कोर खड़े करके अपने आलोचको को जवाब दे दिया।


अपने पूरे करियर के दौरान वह बहुत तेज और बड़ा स्कोर खड़ा करने वाले खिलाड़ी थे। 1930 में इंग्लैंड के उनके शुरुआती दौरे में उन्होंने खुद को एक अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी के रूप में स्थापित कर लिया। 


उन्होंने इस दौरे में 98.66 के औसत से कुल 2,960 रन बनाए। 


टेस्ट मैचों में 139.14 के औसत से 974 रन बनाए, जिसमें 131, 254, 334 और 452 के स्कोर शामिल थे। 


1930 और 1938 में अपने इंग्लैंड दौरों में उन्होंने 1000 रन बनाए। यह प्रतिष्ठाता प्राप्त करने वाले वह इकलौते खिलाड़ी बन गए। 


1938-39 के सत्र में उन्होंने लगातार 6 शतक लगाकर सी बी फ्राय के रिकॉर्ड की बराबरी कर ली।


केवल बॉडी लाइन बोलिंग, जहां पर शॉट पिच होती है और सामान्य निशान सिर की दिशा में होता है, जिसका प्रयोग इंग्लिश साइड से डगलस जॉर्डन द्वारा किया जा रहा था, ही ब्रैडमैन पर अंकुश लगा पाए।


उनका औसत 56.57 रहा, जो आज भी अधिकतर बल्लेबाजों की ईर्ष्या का कारण हो सकता है। इस कारण बॉडी लाइन बोलिंग से गहरे मतभेद उत्पन्न हुए। 


प्रथम श्रेणी क्रिकेट (First Class Cricket) में ब्रैडमैन का एवरेज 95.11 का था और टेस्ट मैचों में एवरेज 99.94 का था। 100 की औसत से केवल चार रन कम। 


उन्होंने प्रथम श्रेणी के क्रिकेट में, 117 शतक बनाए (29 टेस्ट मैचो में)। 


जब भी उन्होंने बल्लेबाजी की, हर तीसरे मैच में शतक लगाया। उनके शतकों में 31 दोहरे शतक थे (10 टेस्ट मैचों में) पांच तिहरे 2 टेस्ट मैचों में) और एक 400 का स्कोर।


उनके प्रसिद्ध 452 रन 1930 में क्वींसलैंड के विरुद्ध बने थे। 1936 में इंग्लैंड दौरे के लिए ब्रैडमैन ऑस्ट्रेलिया के कप्तान बनाए गए।


1948 तक, उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की लगातार कप्तानी की। ब्रैडमैन सर्वाधिक सफल कप्तान रहे, जिन 24 टेस्ट मैचों में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की कप्तानी की, उनमें से ऑस्ट्रेलिया ने 15 जीते, तीन हारे और 6 ड्रॉ रहे। 


1948 में जिस टीम ने इंग्लैंड का दौरा किया, उसने एक भी मैच नहीं हारा था। 


क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद जनवरी, 1949 को उन्हें नाइट की उपाधि मिली। 


उन्होंने एक चयनकर्ता और एक प्रशासक के रूप में क्रिकेट से अपना संपर्क बनाए रखा। वह दो बार ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष रहे। 


1965 से 1973 तक ब्रैडमैन दक्षिण ऑस्ट्रेलियन क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे। क्रिकेट छोड़ने के बाद वित्त उद्योग में उनका एक सफल करियर रहा।


1980 और 1990 के दशक में ब्रैडमैन के जीवन पर प्रकाशित होने वाली सामग्रियों की बाढ़ आ गई। 


1988 में उन्होंने अपनी किताब 'द ब्रैडमैन एल्बम्स जारी की। उनकी दो जीवनियां चार्ल्स विलियम्स की ब्रैडमैन एन ऑस्ट्रेलियन हीरो और रोनाल्ड पेरी की द डॉन प्रकाशित हुई। 


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